चक्र और चक्र की शक्तियाँ
अर्थात् शरीर में जितने चक्र हैं
उन सबमें कोई-न-कोई अधिष्ठात्री शक्ति अवश्य है ।
शैव-शाक्त दार्शनिक तो कहते हैं कि योग का अर्थ ही शिव-शक्ति
का सामरस्य या संयोग है अतः योग का प्राणतत्त्व ही शक्तितत्त्व है।
चक्र
१. मूलाधार चक्र २. स्वाधिष्ठान चक्र ३. मणिपूर चक्र ४. अनाहत चक्र
५. विशुद्धाख्य चक्र ६. आज्ञा चक्र
चक्र की शक्तियाँ।
१. डाकिनी शक्ति २. राकिनी शक्ति ३. लाकिनी शक्ति ४. काकिनी शक्ति
५. शाकिनी शक्ति ६. हाकिनी शक्ति
अन्य शक्तियाँ
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