*महर्षि चरक जिन्हें आयुर्वेद का संस्थापक कहा जाता है । एक योग ‘कल्याण घृत’ की चरक संहिता में बहुत ही प्रशंसा की है। सर्व प्रथम हम | अपने दर्शकों के लिए वही योग यहाँ लिख रहे हैं। यह योग विशेषकर उन गर्भवती स्त्रियों के लिए रामबाण साबित हुआ है, जिनको बार-बार गर्भपात हो जाता है । इसके अतिरिक्त यह औषधि रुग्णा के शरीर में नवीन शक्ति उत्पन्न करती | है। मष्तिष्क की कमजोरी में भी विशेष लाभकर है । मिर्गी, पागलपन, हिस्टीरिया | के कारण आवाज बैठ जाना (Aphonia) शरीर व मष्तिष्क का पोषण कर वृद्धा को जवान बनाती है।*
*हरड़, बहेडा, आँवला, इन्द्रवारूणी, रेनुका, शालपर्णी, सारिबा, दरबी, तगर, उत्पला, इलायची. मजीठ, दन्ती. नागकेशर, अनार, तालीसपत्र, बायविडंग,कूठ, पृष्ठपर्णी, चन्दन, पदमाख, सभी औषधियों को समभाग लेकर कूट पीसकर 1 सेर लुग्दी बना लें । शुद्ध घी 4 सेर, पानी 8 सेर, दवाओं को घी तथा पानी में मिलाकर बहुत ही धीमी आग पर पकायें। जब सिर्फ घी रह जाये तो छानकर सुरक्षित रख लें । इस ‘‘कल्याण घृत” को 1 छोटे चम्मच से लेकर 4 चम्मच तक दिन में 2 बार दूध के साथ पिलायें । खटाई, लाल मिर्च एवं चटपटे तथा मसालेदार भोजनों एवं पदार्थों से पूर्णतः परहेज रखें ।*
*विशेष होमियोपैथी व घरेलू चिकित्सीय सलाह व आयुर्वेदिक होमेपैथी औषधि हे�
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