उड़ीसा में जबरदस्त चुनाव प्रचार के बाद इंदिरा गांधी 30 अक्टूबर की शाम दिल्ली पहुंची थीं. आमतौर पर जब वो दिल्ली में रहती थीं तो उनके घर एक सफदरजंग रोड पर जनता दरबार लगाया जाता था. ये भी एक अघोषित नियम था कि अगर इंदिरा दूसरे शहर के दौरे से देर शाम घर पहुंचेंगी तो अगले दिन जनता दरबार नहीं होगा. 30 तारीख की शाम को भी इंदिरा से कहा गया कि वो अगले दिन सुबह के कार्यक्रम रद्द कर दें लेकिन इंदिरा ने मना कर दिया. वो आइरिश फिल्म डायरेक्टर पीटर उस्तीनोव को मुलाकात का वक्त दे चुकी थीं.
एसीपी दिनेश चंद्र भट्ट बताते हैं कि उनके इंटरव्यू के लिए बाहर से एक टीम आई हुई थी. पीटर उस्तीनोव आए. उन लोगों ने अपना सर्वे किया. ये देखा कि खुली जगह पर इंटरव्यू करना चाहिए. वहां दीवाली के पटाखे पड़े हुए थे. उसको साफ करवा कर इंतजाम करवाया गया, उसमें कुछ वक्त लग रहा था.
दरअसल पीटर इंदिरा गांधी पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रहे थे. इस बीच सुबह के आठ बजे इंदिरा गांधी के निजी सचिव आरके धवन एक सफदरजंग रोड पहुंच चुके थे. धवन जब इंदिरा गांधी के कमरे में गए तो वो अपना मेकअप करा रही थीं. इंदिरा ने पलटकर उन्हें देखा. दीवाली के पटाखों को लेकर थोड़ी नाराजगी भी दिखाई. फिर अपना मेकअप पूरा कराने में लग गईं.इंदिरा बाहर निकलीं और एक अकबर रोड की ओर चल पड़ीं
अब तक घड़ी ने नौ बजा दिए थे. लॉन साफ हो चुका था. इंटरव्यू के लिए सारी तैयारियां पूरी थीं. चंद मिनटों में ही इंदिरा एक अकबर रोड की तरफ चल पड़ीं. यहीं पर पेंट्री के पास मौजूद था हेड कॉन्सटेबल नारायण सिंह. नारायण सिंह की ड्यूटी आइसोलेशन कैडर में होती थी. साढ़े सात से लेकर 8.45 तक पोर्च में ड्यूटी करने के बाद वो कुछ देर पहले ही पेंट्री के पास आकर खड़ा हुआ था. इंदिरा को सामने से आते देख उसने अपनी घड़ी देखी. वक्त हुआ था 9 बजकर 05 मिनट.
आर के धवन उनके पीछे-पीछे चल रहे थे. दूरी करीब तीन से चार फीट रही होगी. तभी वहां से एक वेटर गुजरा. उसके हाथ में एक कप और प्लेट थी. वेटर को देखकर इंदिरा थोड़ा ठिठकीं. पूछा कि ये कहां लेकर जा रहे हो. उसने जवाब दिया इंटरव्यू के दौरान आइरिश डायरेक्टर एक-टी सेट टेबल पर रखना चाहते हैं. इंदिरा ने उस वेटर को तुरंत कोई दूसरा और अच्छा टी-सेट लेकर आने को कहा. ये कहते हुए वो आगे बढ़ गईं.तेज कदमों से चलते हुए इंदिरा उस गेट से करीब 11 फीट दूर पहुंच गई थीं जो एक सफदरजंग रोड को एक अकबर रोड से जोड़ता है. नारायण सिंह ने देखा कि गेट के पास सब इंस्पेक्टर बेअंत सिंह तैनात था. ठीक बगल में बने संतरी बूथ में कॉन्सटेबल सतवंत सिंह अपनी स्टेनगन के साथ मुस्तैद था.
बेअंत ने अचानक सरकारी रिवॉल्वर निकाली और ...
आगे बढ़ते हुए इंदिरा गांधी संतरी बूथ के पास पहुंची. बेअंत और सतवंत को हाथ जोड़ते हुए इंदिरा ने कहा-नमस्ते. बेअंत सिंह ने अचानक अपने दाईं तरफ से .38 बोर की सरकारी रिवॉल्वर निकाली. इंदिरा गांधी पर एक गोली दाग दी. आसपास के लोग भौचक्के रह गए. सेकेंड के अंतर में बेअंत सिंह ने दो और गोलियां इंदिरा के पेट में उतार दीं. तीन �
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