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12 Dec 2020 10:21:11 UTC
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सनातन ऋषियों का यह विज्ञान (The science of bone immersion in the Ganges)
सनातन ऋषियों का यह विज्ञान (The science of bone immersion in the Ganges):
गंगा में असंख्य मात्रा में अस्थियों का विसर्जन करने के बाद अस्थियां कुछ समय बाद गायब हो जाती हैं। इसके पीछे का क्या वैज्ञानिक या धार्मिक दृष्टिकोण हैं?
इस सवाल का जवाब ढूड़ने के पीछे वैज्ञानिक गंगासागर तक खोज कर चुके हैं पर इस प्रश्न का पार नहीं पाया जा सका। बता दें कि इसका जवाब अभी भी ढूंढा जाना बाकी हैं। फिर भी वैज्ञानिक संभावनाओं के अनुसार गंगाजल में पारा अर्थात मर्करी विद्यमान होता है जिससे हड्डियों में कैल्शियम और फॉस्फोरस पानी में घुल जाता है, जो जल-जंतुओं के लिए एक पौष्टिक आहार है। वैज्ञानिक दृष्टि से हड्डियों में गंधक (सल्फर) विद्यमान होता है, जो पारे के साथ मिलकर पारद का निर्माण करता है, इसके साथ-साथ ये दोनों मिलकर मरकरी सल्फाइड सॉल्ट का निर्माण करते हैं। हड्डियों में बचा शेष कैल्शियम पानी को स्वच्छ रखने का काम करता है। धार्मिक दृष्टि से पारद शिव का प्रतिक है और गंधक शक्ति का प्रतीक है। सभी जीव अंतत: शिव और शक्ति में ही विलीन हो जाते हैं। इसके साथ वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा के जल में मौजूद बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु गंगाजल में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म जीवों को जीवित नहीं रहने देते अर्थात ये ऐसे जीवाणु हैं, जो
...
https://www.youtube.com/watch?v=dpZ8GHKr8J0
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Unspecified
video/mp4
Language
Open in LBRY

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