A famous song of Ramanand Sagars Ramayana sung by two cuties so perfectly.
The acting they both are doing is very adorable.
Video source is social media, editing and subtitles done by account owner.
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हम कथा सुनाते राम शक्ल गुणधाम की
हम कथा सुनाते राम शक्ल गुणधाम की
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की
जंबू द्वीपे भरत खंडे आर्यवरते भारत वर्षे
एक नगरी है विख्यात अयोध्या नाम की
येही जन्म भूमि है परम पूज्य श्री राम की
हम कथा सुनाते राम शक्ल गुनधाम की
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की
रघुकुल के राजा धरमात्मा
चक्रवर्ती दशरथ पुण्यात्मा
संतति हेतु यज्ञ करवाया
धर्म यज्ञ का शुभफल पाया
नृप घर जन्मे चार कुमारा
रघुकुल दीप जगत आधारा
चारों भ्राताओं के शुभ नामा
भरत शत्रुग्न लक्ष्मण रामा
| इति |
#shivay #हम_कथा_सुनाते #lovekush
Credit : Kuhu, Pihu and Parents
Subtitles- Prashant Agrahari
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https://www.youtube.com/watch?v=zOsJG5gCqJg
Many Ashtakam have been composed in praise of Shiva, in which "Shivashtakam" has special significance. Shivashtak is composed by Adi Guru Shankaracharya which is dearest to Lord Shiva. This "Shivashtakam" is divided into eight terms, whose praise Parambrahma is a perfect means of worship of Shiva. Shankaracharya himself has also praised this stotra of Shiva.
According to the scriptures, the recitation and hearing of Shiva's sacred hymn to Shiva soon liberates man from all bad situations. The recitation of this praise of Shiva in the month of Sawan makes even a fortunate person fortunate.
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् ।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 1 ॥
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणेशादि पालम् ।
जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गै र्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 2॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् ।
अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 3 ॥
वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् ।
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 4 ॥
गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम् ।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 5 ॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोज नम्राय कामं ददानम् ।
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 6 ॥
शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।
अपर्णा कलत्रं स�
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https://www.youtube.com/watch?v=DAby2ePTpqM
"Sri govind Damodar Stotram" is composed by Sribilvamangal Thakur called 'Srililashuk'.
This stotra is of 41 verses, but here only some of its popular verses are being given with Hindi translation.
करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।।
जिन्होंने अपने करकमल से चरणकमल को पकड़ कर उसके अंगूठे को अपने मुखकमल में डाल रखा है और जो वटवृक्ष के एक पर्णपुट (पत्ते के दोने) पर शयन कर रहे हैं, ऐसे बाल मुकुन्द का मैं मन से स्मरण करता हूँ।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव।
जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे जिह्वे ! तू 'श्रीकृष्ण ! गोविन्द ! हरे ! मुरारि ! हे नाथ ! नारायण ! वासुदेव ! तथा गोविन्द ! दामोदर ! माधव !'-इस नामामृत का ही निरन्तर प्रेमपूर्वक पान करती रह।
विक्रेतुकामाखिलगोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्ति:।
दध्यादिकं मोहवशादवोचद् गोविन्द दामोदर माधवेति।।
जिनकी चित्तवृत्ति मुरारि के चरणकमलों में लगी हुई है, वे सभी गोपकन्याएं दूध-दही बेचने की इच्छा से घर से चलीं। उनका मन तो मुरारि के पास था; अत: प्रेमवश सुध-बुध भूल जाने के कारण 'दही लो दही' इसके स्थान पर जोर-जोर से 'गोविन्द ! दामोदर ! माधव !' आदि पुकारने लगीं।
गृहे गृहे गोपवधूकदम्बा: सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम्।
पुण्यानि नामानि पठन्ति नित�
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https://www.youtube.com/watch?v=GizU7meF6lo